Friday, 29 December 2017

... कभी तो ज़मीं पे आ ...

सोचता हूँ कि छुपा लूं तुम्हे इस दुनिया से
एक चाँद बहुत है इस धरती के लिए
कभी गुस्सा होती हो तो लहरों का उफ़ान सा आता है
एक लहर बहुत है इस बस्ती के लिए |

चाँद चमक सी मुस्कान जो अब साथ है मेरे
आज कीमत ज़्यादा है, ज़िन्दगी इस सस्ती के लिए
थोड़ी पूछताछ है अब हमारी इस शहर में भी
तुम किनारा सा हो इस कश्ती के लिए |

Monday, 13 November 2017

लिखता मैं

मिलते जो आप तो, एक अंदाज़ लिखता मैं,
छोटे से उन लम्हो में , एक ख्वाब लिखता मैं।
अगर पूछ लेते कि याद करते हो क्या हमको भी कभी,
तुमको हर एक पल का हिसाब लिखता मैं।

 कुछ शिकायत होती अगर उनको, आज अपने नूर पे,
 ‎कलम से तारीफ़, लाजवाब लिखता मैं।
 ‎कुछ अक्षर ढूँढता कीमती और सुनहरे से कभी,
 ‎खुद बिकता और उनसे उनका नाम लिखता मैं।

अ से लिखता नाम मैं उनका, व को सजाकर रखता मैं,
न की भी हाँ थी , इन अक्षरों की महफ़िल में,
एक ग़ज़ल इस प्यार की त से भी लिखता मैं।

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Saturday, 28 October 2017

कुछ सोचूं मैं इन सपनो में



क्या आओगे आजभी उसी समय पे तुम?
सुनेंगे धड़कन जिसका संगीत तुम,
कुछ पल चुनूंगा, जो साथ हैं तेरे,
कुछ पल होंगे जो ख्वाब हैं मेरे,
कुछ पल देदो मैं ख्वाब बुनूँ,
ऐसा मैं आज सपना चुनूं |

क्या आओगे आजभी उसी समय पे तुम?
मैं दिमाग और दिल के वेश में तुम
मैं सोचूं इस धड़कन को सुन,
दूर भी हो पर पास हो तुम,
ये धड़कन इस सोच को घेरे
सपने छोड़ मिलो सुबह सवेरे|

तुम बतलाओ कब मिलने आऊं
देख तुम्हे मैं खुश हो जाऊं,
ख्वाब मैं अपने लिखता रहता,
तुम भी सच हो, खुद से कहता,
समय समय मैं बस सोचता रहता,
कही मिल गए वो तो कुछ बोल पाऊं|

Thursday, 31 August 2017

मज़हब की सरहदें

होती अगर बिकाऊ तो, सरहद खरीद लेता मैं 
लाल रंग की उस मिट्टी में , खुशियां बीज देता मैं 
देखता कि उस मज़हब को, वो मिट्टी क्या सिखलाती है 
नफरत की उस हवा से, शहीद खींच लेता मैं |

सीख लेते हम उनसे भी कुछ, जो रब के और हम सबके हैं,
प्यार बांटते, मिलके खाते, आप हम भी रब के हैं |
मिलेंगे उधार, खुशियों के औज़ार, बच्चे चलाना जानते हैं,
मज़हब सिखाता रब की पूजा, ऐसा हम क्यों मानते हैं |

Thursday, 17 August 2017

ਮਿੱਟੀ ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦੀ

ਮਿੱਟੀ ਲੈ ਆਯੋ ਮੇਰੇ ਮੁਲਕ ਦੀ,
ਕਈ ਵਰੇ ਹੋਗਏ ਨੇ ਦੂਰ ਹੋਏ ਨੂੰ,
ਮੇਹਨਤ ਕਮਾਈ ਚੇ ਚੂਰ ਹੋਏ ਨੂੰ,
ਮਹਿਕ ਸੰਭਾਲ ਲੂੰ ਉਸ ਦੇਸ਼ ਦੀ,
ਯਾਦ ਰਹੁ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੋਏ ਨੂੰ|


ਮਿੱਟੀ ਲੈ ਆਯੋ ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦੀ,
ਖੇਤ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਰੰਗ ਹਰੇ ਹੋਏ ਨੂੰ,
ਹਾੱਸੇ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰੇ ਹੋਏ ਨੂੰ,
ਮੈਂ ਸਿਖਯਾ ਉਸ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਸਬ ਕੁਝ
ਤਾਹਿ ਮੁਸਕਾਵਾਂ ਖੇਲ ਹਰੇ ਹੋਏ  ਨੂੰ| 

ਦੁਆ ਹੀ ਹੈ ਉਸ ਮਿੱਟੀ ਦੀ,
ਪੂਰੀਆਂ ਸਬ ਮੁਰਾਦਾਂ ਨੇ,
ਬਜ਼ੁਰਗ਼ ਵੱਸਦੇ ਉਸ ਮਿੱਟੀ ਚੇ,
ਰੱਬ ਵਰਗੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਨੇ,
ਮੈਂ ਭੁੱਲਦਾ ਨੀ ਖੁਸ਼ਬੋ ਇਸ ਰੰਗ ਦੀ,
ਜਿੰਨੇ ਰਚੀਆਂ ਸਬ ਬੁਨਿਆਦਾਂ ਨੇ|






Thursday, 27 July 2017

तेरे साथ

आज के इस पल में, ज़िन्दगी खूबसूरत है मेरी,
साथ कदम जो हैं तेरे, राह सुधर जाए मेरी
पल छुपा लूँ, याद बना लूँ, इस आधे प और यार को
हाँ तुम्हारी जीत बना दे, मेरी हर एक हार को |

आज के ही इसी पल में, देखी है मुस्कान तेरी,
रफ़्तार की सीमा तोड़ चली, सुन तो सही धड़कन मेरी,
है ख्वाब सा, महताब सा, चेहरे का दीदार सा,
भेजा है बना तुमको , खूबसूरती का इश्तिहार सा|

आज के ही इसी पल में, न हो कोई इनकार सा
खो जाएँ इन लम्हों में, पल है अब इज़हार का,
आर मेरे तुम, पार मेरे तुम, हो तुम इन लफ़्ज़ों में भी,
खुश बहुत हूँ इस पल में मैं भी, तेरा शुक्रगुज़ार  था|

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Tuesday, 28 February 2017

ਰਾਹ ਬਾਦਲ ਰਹੇ ਨੇ

ਮੈਂ ਨੀ ਦੇਖਿਆ ਸੀ ਇਹ ਪੰਜਾਬ,
ਜਿੱਥੇ ਯਾਰ ਭਰਾ ਨੇ ਨਾਵਾਂ ਦੇ,
ਚਲਦੀ ਗੋਲੀ ਵਿਆਹਾਂ ਤੇ,
ਬੇਅਦਬੀ ਹੋਗੀ ਗੁਰੂਆਂ ਦੀ,
ਤੇ ਨਸ਼ੇ ਵੱਸਗੇ ਸਾਹਾਂ ਚੇ | 

ਮੈਂ ਵੇਖਿਆ ਸੀ ਉਹ ਪੰਜਾਬ 
ਜਿੱਥੇ ਪੂਜਾ ਹੁੰਦੀ ਸੀ ਮਾਵਾਂ ਦੀ, 
ਠੰਡ ਸੀ ਬੋੜ੍ਹ ਦੀਆਂ ਛਾਵਾਂ ਦੀ,
ਬਾਬੇ ਸੀ ਪਿੰਡ ਦੇ ਮੋਹਰੀ ਹੁੰਦੇ,
ਸਿਹਤ ਹੁੰਦੀ ਸੀ ਹਰ ਥਾਵਾਂ ਤੇ |

ਮੈਂ ਦੇਖਣਾ ਚੌਹਨਾਂ ਉਹ ਪੰਜਾਬ 
ਜਿਥ੍ਹੇ ਚੰਗੇ ਰਾਜਨੇਤਾ ਹੋਣ ,
ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਪਿੰਡ ਨਾ ਮਾਵਾਂ ਰੋਣ,
ਉਹ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਖੇਤ ਮੇਰੇ ,
ਹਰ ਥਾ ਦੇਸ਼ ਮੇਰੇ ਦੀਆਂ ਬਾਤਾਂ ਹੋਣ |

Saturday, 7 January 2017