Saturday, 28 October 2017

कुछ सोचूं मैं इन सपनो में



क्या आओगे आजभी उसी समय पे तुम?
सुनेंगे धड़कन जिसका संगीत तुम,
कुछ पल चुनूंगा, जो साथ हैं तेरे,
कुछ पल होंगे जो ख्वाब हैं मेरे,
कुछ पल देदो मैं ख्वाब बुनूँ,
ऐसा मैं आज सपना चुनूं |

क्या आओगे आजभी उसी समय पे तुम?
मैं दिमाग और दिल के वेश में तुम
मैं सोचूं इस धड़कन को सुन,
दूर भी हो पर पास हो तुम,
ये धड़कन इस सोच को घेरे
सपने छोड़ मिलो सुबह सवेरे|

तुम बतलाओ कब मिलने आऊं
देख तुम्हे मैं खुश हो जाऊं,
ख्वाब मैं अपने लिखता रहता,
तुम भी सच हो, खुद से कहता,
समय समय मैं बस सोचता रहता,
कही मिल गए वो तो कुछ बोल पाऊं|

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