My Mosaic
Thursday, 8 October 2015
एक
एक
नया है दौर, नयी है सोच
महकने वाले फूल नहीं खिलते
डरे डरे से रहते हैं लोग
क्योंकि जज़्बे कहीं उधार नहीं मिलते
देश भी अपना, वेश भी अपना
कभी तो बात करो एकता की
खिलो, महको, बनादो सुन्दर
इस देश में ताकत है अनेकता की
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